Unseen Passage for Class 8 Hindi अपठित गद्यांश

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To improve your skills, we have provided you with the unseen passage for class 8 with questions and answers.

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Apathit Gadyansh for Class 8 with answers pdf

अपठित गद्यांश

अपठित का शाब्दिक अर्थ है – जो पढ़ा नहीं गया – जो पाठ्यक्रम से जुड़ा हुआ नहीं है और जो अचानक ही पढ़ने के लिए दिया गया हो। इसमें गद्यांश से जुड़े विभिन्न प्रश्नों के उत्तर देने को कहा जाता है। इस प्रकार इस विषय में यह अपेक्षा की जाती है कि पाठक द्वारा दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तर उसी अनुच्छेद के आधार पर संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करें। प्रश्नों के उत्तर पाठक को अपनी भाषा शैली में देने होते है।

अपठित गद्यांश के द्वारा पाठक की व्यक्तिगत योग्यता और अभिव्यक्ति की क्षमता का आकलन किया जाता है। अपठित का कोई क्षेत्र विशेष नहीं होता। विज्ञान कला साहित्य नागरिक शास्त्र या किसी भी विषय के उत्तर देने से मानसिक स्तर बढ़ता है और अभिव्यक्ति क्षमता को बढ़ाता है।

अपठित गद्यांश को हल करने की विधि और विशेषताएं –

1. अपठित गद्यांश को बहुत ध्यान पूर्वक मन ही मन में दो बार पढ़ना चाहिए।

2. गद्यांश को पढ़ते समय विशेष स्थानों को रेखांकित करना चाहिए।

3. अपठित गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर देते समय भाषा सरल व्यवहारिक और सहज होनी चाहिए।

4. अपठित गद्यांश से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर देते समय कम से कम शब्दों में अपने उत्तर को स्पष्ट करना चाहिए।

5. शीर्षक लिखते समय संक्षिप्तता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

Apathit Gadyansh for Class 8


01 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

धर्म का वास्तविक गुण प्रकट होता है जब हम जीवन का सत्य जानने के लिए और इस दुनिया की दया और क्षमा योग्य वस्तुओ में वृद्धि के लिए निरंतर खोज करते हैं और सतत अनुसंधान करते हैं| अनुसंधान या खोज की लगन और उद्देश्यों का विस्तार जिन्हें हम प्रेम अर्पण करते हैं, यह वास्तविक रूप में आध्यात्मिक मनुष्य के दो पक्ष होते हैं| हमें सत्य की खोज कब तक करते रहना चाहिए जब तक हम उसे पा ना लें और उससे हमारा साक्षात्कार ने हो| जो कुछ भी हो, हर मनुष्य में वही तत्व मौजूद है, अतः वह हमारे प्यार और हमारी सद्भावना का अधिकारी है| समाज और सारी सभ्यता केवल किस बात का प्रयास है कि मनुष्य आपस में सद्भाव के साथ रह सके| हम इस प्रयास को तब तक बनाए रखते हैं जब तक सारी दुनिया हमारा परिवार ने बन जाए|

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) धर्म का वास्तविक गुण कब प्रकट होता है|
उत्तर– जीवन-सत्य एवं विश्व की दया-क्षमा योग्य वस्तु की खोज में संलग्न रहने पर धर्म का वास्तविक गुण प्रकट होता है|

(ख) आध्यात्मिक मनुष्य के दो पक्ष कौन से हैं|
उत्तर– आध्यात्मिक मनुष्य के यह दो पक्ष होते हैं- जीवन-सत्य की खोज में निरंतर लगे रहना और सृष्टि-प्रक्रिया के सत्यान्वेषण के उद्देश्यों के लिए स्वयं पारित करना स्वयं को अर्पित करना|

(ग) हर मनुष्य में कौन सा तत्व मौजूद है|
उत्तर– हर मनुष्य में धर्म का वास्तविक गुण तथा सत्य का अनुसंधान करने का तत्व मौजूद होता है|

(घ) मनुष्य को आपस में सद्भावना का प्रयास कब तक करते रहना चाहिए|
उत्तर– जब तक सारा विश्व हमारा अपना परिवार न बन जाए, तब तक सद्भाव का प्रयास करना चाहिए|

Discursive Passage Hindi for Class 8

02 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

गांधीजी के अनुसार शिक्षा शरीर, मस्तिष्क और आत्मा का विकास करने का माध्यम है| वे ’बुनियादी शिक्षा’ के पक्षधर थे| उनके अनुसार प्रत्येक बच्चे को अपनी मातृभाषा की नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए जो उसके आस-पास की जिंदगी पर आधारित हो; हस्तकला एवं काम के जरिए दी जाए; रोजगार दिलाने के लिए बच्चे को आत्मनिर्भर बनाए तथा नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करने वाली हो| गांधीजी के उक्त विचारों से स्पष्ट है कि वे व्यक्ति और समाज के संपूर्ण जीवन पर अपनी मौलिक दृष्टि रखते थे तथा उन्होंने अपने जीवन में सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलनों में भाग लेकर भारतीय समाज एवं राजनीति में इन मूल्यों को स्थापित करने की कोशिश की| गांधीजी की सारी सोच भारतीय परंपरा की सोच है तथा उनके दिखाए मार्ग को अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति और संपूर्ण राष्ट्र वास्तविक स्वतंत्रता, सामाजिक सद्भाव एवं सामुदायिक विकास को प्राप्त कर सकता है| भारतीय समाज जब–जब भटकेगा तब–तब गांधीजी उसका मार्ग दर्शन करने में सक्षम रहेंगे|

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) गांधीजी के अनुसार प्रत्येक बच्चे को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिए|
उत्तर– गांधीजी के अनुसार प्रत्येक बच्चे को शरीर, मस्तिष्क और आत्मा का विकास करने वाली, अर्थात बुनियादी शिक्षा दी जानी चाहिए|

(ख) ’गांधीजी के उक्त विचारों से स्पष्ट है कि व्यक्ति और समाज के संपूर्ण जीवन पर अपनी मौलिक दृष्टि रखते थे’ यह किस प्रकार का वाक्य है, बताते हुए परिभाषा भी लिखे|
उत्तर– यह मिश्र वाक्य है| इसमें ’गांधीजी के विचारों से स्पष्ट है’ मुख्य उपवाक्य है तथा उस पर आश्रित’ वे व्यक्ति और समाज….. रखते थे’ संज्ञा उपवाक्य है, जो ‘कि’ अव्यय से जुड़ा हुआ है|

(ग) सामाजिक शब्द में मूल शब्द व प्रत्यय बताइए|
उत्तर– सामाजिक- समाज (मूल शब्द) + इक (प्रत्यय)

(घ) अपठित गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए|
उत्तर– शीर्षक – भारतीय समाज को गांधीजी का मार्गदर्शन,
अथवा – गांधी जी के मौलिक विचार

Short Apathit Gadyansh Class 8 with questions and answers

03 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

आज देश स्वतंत्र है| हमें अपनी शक्ति की वृद्धि करनी है, जिससे हमारी स्वतंत्रता की रक्षा हो सके| आए दिन ऐसे संकट हमें चुनौती देते रहते हैं, जिनसे निपटने के लिए एक शक्तिशाली सेना की आवश्यकता है| यदि विद्यालयो में ही देश सेवा की है भावना द्रढ़ हो जाए तो भविष्य के लिए बड़ी तैयारी हो सकेगी| प्राचीन काल में आश्रमों में वेद-शास्त्रों के साथ–साथ अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दी जाती थी| सैनिक शिक्षा से शारीरिक शक्ति के साथ मानवीय गुणों का विकास होता है| सेवा, तत्परता, परिश्रमशीलता एवं निर्भयता आदि गुण इस दशा में अपने आप आ जाते हैं|

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) हमें अपनी शक्ति की वृद्धि क्यों करनी चाहिए?
उत्तर– अपने देश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हमें अपनी शक्ति की वृद्धि करनी चाहिए| बाहरी एवं भीतरी शत्रुओ के दमन के लिए भी यह जरूरी है |

(ख) “आज देश स्वतंत्र है” यह किस प्रकार का वाक्य है?
उत्तर– “आज देश स्वतंत्र है” यह साधारण वाक्य है |

(ग) ‘शारीरिक’ शब्द में मूल शब्द का प्रत्यय बताइए |
उत्तर– शारीरिक – मूल शब्द शरीर + प्रत्यय इक |

(घ) गद्यांश का शीर्षक लिखिए |
उत्तर– शीर्षक – सैनिक शक्ति का महत्व या सैनिक शिक्षा की आवश्यकता

Case based factual Passage for Class 8

04 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

राष्ट्रीय एकता के अर्थ की विशदता उसकी। गम्भीरता को समझने के लिए सम्पूर्ण भारत की आर्थिक,। सामाजिक, राजनैतिक एवं वैचारिक समानता और एकता की भावभूमि को समझना होगा। हमारे विश्वास, पूजा-पाठ की विधियाँ, खान-पान, रहन-सहन तथा वेशभूषा में अन्तर हो सकता है लेकिन भारतवर्ष की राष्ट्रीय एवं प्रभुसत्ता। सम्बन्धी स्तर पर प्रत्येक नागरिक के एकमत होने की बात। महत्त्व रखती है। यही तो वह हस्ती है जो पराधीनता में भी स्वाधीनता की ज्वाला धधकती रही। प्रत्येक भारतीय के। हृदय में आज स्वाधीन भारत के एकत्व का आधार उसकी अनेकता की शिला है जिसकी गहरी नींव पड़ी है।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) पंक्तियों का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर– उपयुक्त शीर्षक है ‘राष्ट्रीय एकता’।

(ख) राष्ट्रीय एकता के लिए किसका समझना जरूरी
उत्तर– राष्ट्रीय एकता के लिए सम्पूर्ण भारत की आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं वैचारिक समानता एवं एकता की भावभूमि को समझना जरूरी है।

(ग) ‘स्वाधीन भारत के एकत्व का आधार’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– स्वाधीन भारत के एकत्व का आधार उसकी अनेकता की शिला है जिसकी गहरी नींव पड़ी हुई है। यहाँ के नागरिक वेशभूषा में अन्तर कर सकते हैं लेकिन वे भारत की एकता और प्रभुसत्ता के स्तर पर एकमत ही रहते हैं।

Apathit Gadyansh for Class 8 with answers


05 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

भारतीय जनता का अधिकांश भाग गाँवों में बसता है। उनका मुख्य उद्योग कृषि है और कृषि कार्य भारतीय जीवन में और भारतीय संस्कृति में सर्वोपरि, महत्त्वपूर्ण और श्रेष्ठ कहा गया है। कृषि कार्य को आध्यात्म और समन्वित श्रेष्ठ स्वरूप में उपस्थित किया गया है, परन्तु आज के वैज्ञानिक युग में कृषि कर्म के महत्त्व को गिरा दिया है और नौकरी को प्राथमिकता दी जा रही है लेकिन अत्यन्त दुःख की बात तो यह है कि कृषक स्वयं ही अपने कर्म को निकृष्ट और निम्नकोटि का मानने लगा है।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) पंक्तियों का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर– इन पंक्तियों का उपयुक्त शीर्षक है-‘मुख्य उद्योग कृषि’।

(ख) कृषि कार्य के सन्दर्भ में क्या कहा गया है?
उत्तर– कृषि कार्य के सन्दर्भ में कहा गया है कि भारतीय जीवन में तथा भारतीय संस्कृति में कृषि कार्य सर्वोपरि है और महत्त्वपूर्ण है। कृषि कार्य अध्यात्म और श्रम से संयुक्त होने से श्रेष्ठ है।

(ग) कृषि कर्म के प्रति कृषक की क्या सोच है?
उत्तर– आज विज्ञान का युग है। किसान ने ही कृषि कर्म के महत्व को बहुत गिरा दिया है। उसने नौकरी को प्राथमिकता दी है। यह निन्दनीय भी है कि किसान ने ही अपने कर्म को निकृष्ट और पतित बना दिया है।

Apathit Gadyansh for Class 8 with questions and answers pdf


06 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

मेरा देश भारत संसार के देशों का सिरमौर है। यह प्रकृति की पुण्य लीलास्थली है। माँ भारत के सिर पर हिमालय मुकुट के समान शोभायमान है। गंगा तथा यमुना इसके गले के हार हैं। दक्षिण में हिंद महासागर भारत माता के चरणों को निरंतर धोता रहता है। इस देश की उर्वरा धरती अन्न के रूप में सोना उगलती है। संसार में केवल यही एक देश है जहाँ षड्ऋतुओं का आगमन होता है, गंगा, यमुना, सतलुज, व्यास, गोमती, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी अनेक ऐसी नदियाँ हैं जो अपने अमृत-जल से इस देश की धरती की प्यास शांत करती हैं। हमारा प्यारा देश ‘विश्व गुरु’ रहा है। यहाँ की कला, ज्ञान-विज्ञान, ज्योतिष, आयुर्वेद संसार के प्रकाशदाता रहे हैं। यह देश ऋषि-मुनियों, धर्म-प्रवर्तकों तथा महान कवियों ने बनाया है। त्याग हमारे देश का सदैव से मूल मंत्र रहा है। जिसने त्याग किया, वही महान कहलाया। बुद्ध, महावीर, दधीचि, रंतिदेव, राजा शिवि, रामकृष्ण परमहंस, गांधी इत्यादि महान विभूतियाँ इसका जीता-जागता प्रमाण हैं। भारत पर प्रकृति की विशेष कृपा है। यहाँ पर खनिज पदार्थों का पर्याप्त भंडार है। अपनी अपार संपदा के कारण ही इसे ‘सोने की चिड़िया’ की संज्ञा दी गई है। धन-संपदा के कारण ही हमारा देश विदेशी आक्रमणकारियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर– मेरा प्यारा भारत देश।

(ख) भारत को संसार के देशों का सिरमौर क्यों कहा जा सकता है?
उत्तर– भारत को संसार का सिरमौर कहा गया है क्योंकि भारत देश में विश्व के सभी देशों से अधिक विशेषताएँ हैं।

(ग) भारत देश का मूल मंत्र क्या है?
उत्तर– भारत देश का मूल मंत्र ‘त्याग’ अर्थात् दूसरों के लिए जीना है।

(घ) भारत को सोने की चिड़िया’ की संज्ञा क्यों दी गई?
उत्तर– भारत की अपार संपदा के कारण भारत को सोने की चिड़िया’ की संज्ञा दी जाती है।

(ड़) गद्यांश से कोई दो योजक शब्द प्रयुक्त शब्दों का चयन कीजिए।
उत्तर– ऋषि-मुनियों, धन-संपदा

Apathit Gadyansh for Class 8 with questions and answers


07 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

सत्संग से लौकिक और पारलौकिक दोनों प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं. यदि कोई मनुष्य इस जीवन में दुखी रहता है तो कम से कम कुछ समय के लिए श्रेष्ठ पुरुषों की संगति में वह अपने सांसारिक दुखों का विस्मरण कर देता है. महापुरुषों के उपदेश सदैव सुख शांति प्रदान करते हैं. दुख के समय मनुष्य जिनका स्मरण करके धीरज प्राप्त करता है. सत्संग में लीन रहने वाले मनुष्य को दुखों का भय नहीं रहता है. वह अपने दिल समझता है, जिससे दुखों का कोई कारण ही शेष नहीं रह जाता. सत्संग के प्रभाव से धैर्य लाभ होता है जिससे मन में क्षमा की शक्ति स्वयं ही आ जाती है. क्षमा सभी प्रकार के दुर्गुणों का विनाश कर देती है और मन को शांति व संतोष प्रदान करती है. इसी प्रकार के अन्य अनेक लाभ सत्संग द्वारा प्राप्त होते हैं. संगति का प्रभाव मन पर अनिवार्य रूप से पड़ता है अतः सत्संग में रहने वाला मनुष्य सदाचारी होता है. हमें भी सदस्य सज्जन पुरुषों की संगति करनी चाहिए और दुर्जन मनुष्य उसे दूर रहना चाहिए. दर्जनों के संग रहकर उत्कृष्ट गुणों वाला मनुष्य भी विनाश की ओर चला जाता है.

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) सत्संग से लौकिक और पारलौकिक सुख किस प्रकार प्राप्त होते हैं?
उत्तर– सत्संग करने वाला व्यक्ति श्रेष्ठ पुरुषों की संगति में आने पर संसार क दुखों को भूल जाता है. सुख और दुख के बंधन से दूर हो जाता है. महापुरुषों के उपदेश उसमें धीरज को जन्म देते हैं और सुख शांति देते हैं. ऐसा व्यक्ति देवी प्रकोप से दूर होकर ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाता है. इस प्रकार वह लौकिक और पारलौकिक सुख की प्राप्ति कर लेता है.

(ख) सत्संग से मन को क्या लाभ प्राप्त होता है?
उत्तर– सत्संगति मन में न केवल धैर्य प्रदान करती है बल्कि मन में क्षमा की शक्ति का भी संचार होता है. क्षमा सभी प्रकार के दुर्गुणों को समाप्त कर संतोष और शांति प्रदान करती है.

(ग) दुर्जन व्यक्तियों से दूर रहने की सलाह क्यों दी गई है?
उत्तर– संगति का प्रभाव हमारे आचरण पर अवश्य पड़ता है. संगति आत्म शिक्षा का एक सुगम साधन है. दुर्जन व्यक्ति का साथ पथभ्रष्ट होने और कुमार पर जाने को प्रेरित करता है. दुर्जनो यानी दुष्ट व्यक्तियों का साथ अच्छे गुण वाले व्यक्ति को भी विनाश के पथ पर अग्रसर कर देता है. इसीलिए दुरजनों से दूर रहने की सलाह दी गई है.

(घ) अपठित गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए.
उत्तर– अपठित गद्यांश का शीर्षक – संगति का महत्व

Apathit Gadyansh with questions and answers for Class 8


08 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

पुस्तकें सच्ची मित्र होती हैं. अब तक मैं यही समझता था. परंतु उस दिन मेरी यह धारणा भी टूट गई. मैंने एक ऐसी पुस्तक पढ़ी जिसमें घृणा और द्वेष भरा हुआ था. लेखक महोदय किसी विशेष विचारधारा से बंधे हुए जान पड़ते थे, जैसे जंजीरों में झगड़ा हुआ कैदी दांत पीस पीस कर हर अपने जाने वाले को गाली ही देता है उसी प्रकार लेखक महोदय को अपने समाज में सारे लोग शोषक जान पड़ते थे. लेखक को यदि कोई कार में सवारी करता सोचा, वह नफरत के योग्य लगा, जो मंदिर में जाता हुआ मिला वह मूर्ख लगा, जो संस्कारों की बातें करता, वह ढोंगी जान पड़ा. जो संस्कृति और मर्यादा की बात करता , वह शोषक प्रतीत हुआ. उसकी नजरों में सच्चा इंसान वही है जो व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाए. चाहे व्यवस्था उसे सभी सुविधाएं दे रही हो फिर भी उसमें कमियां निकाले. अपने मालिक को, रोजगार देने वालों को अत्याचारी समझे. उसके विरुद्ध समय-समय पर संघर्ष की आवाज उठाता रहे, हड़ताल और तालाबंदी करता रहे, नारे लगाता रहे, झंडा उठाता रहे. ऐसा लगता है कि लेखक के जीवन का लक्ष्य भी मात्र यही था – निरंतर संघर्ष. सच कहूं तो ऐसी पुस्तक पढ़कर मैं शांत नहीं रह पाया. मेरे मन में खलबली मच गई और अशांति की प्राप्ति हुई.

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) अपठित गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए.
उत्तर– अपठित गद्यांश का शीर्षक – मन की कुंठा

(ख) पुस्तकों के बारे में पाठक की धारणा क्यों टूट गई?
उत्तर– पुस्तकों के बारे में पाठक की धारणा इसलिए टूटी क्योंकि उसने घृणा, द्वेष और अशांति के विचारों से भरपूर पुस्तक का अध्ययन कर लिया था.

(ग) लेखक के जीवन का लक्ष्य क्या मालूम पड़ता था?
उत्तर– लेखक के जीवन का लक्ष्य था – निरंतर संघर्ष

(घ) पुस्तक पढ़कर पाठक के मन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर– पुस्तक पढ़कर लेखक का ह्रदय हलचल और अशांति से भर गया

(ड़) लेखक की नजरों में सच्चा इंसान कौन है?
उत्तर– लेखक की नजरों में सच्चा इंसान है जो व्यवस्था के विरुद्ध लगातार लड़ता रहे.

Apathit Gadyansh for Class 8 pdf with answers


09 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का निवास होता है. यदि आत्मिक बल चाहते हैं तो स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना हमारा परम कर्तव्य है. स्वस्तिका हमारे चरित्र के साथ घनिष्ठ संबंध है. स्वस्थ व्यक्ति ही चरित्रवान हो सकता है. कारण स्पष्ट है कि स्वास्थ्य का आत्म संयम से संबंध है. आत्म संयम चरित्र की सीढ़ी है. यदि स्वास्थ्य नष्ट हुआ तो बहुत कुछ नष्ट हो गया. स्वस्थ व्यक्ति धन कमा सकता है परंतु धनवान व्यक्ति धन से स्वास्थ्य नहीं खरीद सकता.

व्यायाम स्वास्थ्य का सहोदर है. जिन व्यक्तियों का व्यवसाय शारीरिक श्रम से संबंधित है उन्हें मस्तिष्क संबंधित व्यायाम और जिनका व्यवसाय मस्तिष्क संबंधी है उन्हें शारीरिक व्यायाम अवश्य करना चाहिए. तन तथा मस्तिष्क जीवन रूपी तराजू के 2 पलड़े हैं जिनका संतुलन होना अनिवार्य है. यह भी जान लेना आवश्यक है कि स्वास्थ्य रक्षा किस प्रकार हो सकती है.

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) अपठित गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए.
उत्तर– अपठित गद्यांश का शीर्षक – स्वास्थ्य ही धन है.

(ख) मनुष्य के लिए स्वस्थ रहना क्यों आवश्यक है?
उत्तर– मनुष्य के लिए स्वस्थ रहना इसलिए आवश्यक है क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही आत्मा का वास होता है और आत्मिक बल की प्राप्ति हुई स्वस्थ शरीर से ही हो सकती है. स्वस्थ व्यक्ति ही चरित्रवान हो सकता है.

(ग) स्वास्थ्य का महत्व धन से भी अधिक क्यों है?
उत्तर– एक कहावत के अनुसार यदि धन नष्ट हुआ तो कुछ भी नष्ट नहीं हुआ और यदि स्वास्थ्य नष्ट हुआ तो बहुत कुछ नष्ट हो जाता है. गया हुआ धन फिर भी आ सकता है किंतु गया हुआ स्वास्थ्य धन खर्च करने पर भी वापस नहीं लौटता. इसीलिए कहा गया है कि स्वास्थ्य का महत्व धन से अधिक है.

(घ) व्यायाम स्वास्थ्य का सहोदर है – कैसे?
उत्तर– मन और मस्तिष्क जीवन रूपी तराजू के दो पकड़े हैं. दोनों के बीच संतुलन ना रखा जाए तो जीवन डगमगा जाएगा. श्रम करने वाले को मानसिक श्रम की और मन मानसिक कार्य करने वालों को शारीरिक श्रम की अत्यंत आवश्यकता होती है. ताकि उनका स्वास्थ्य बना रहे. इसलिए चाहे किसी भी रूप में क्यों ना हो, व्यायाम करना स्वास्थ्य का सहोदर है.

Comprehension Passages Hindi for Class 8


10 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

देश की राजनीतिक स्वतंत्रता का पूरा आनंद और सुख हम तभी उठा सकते हैं जब हम आर्थिक दृष्टि से भी स्वतंत्र और स्वावलंबी हों और इस आर्थिक स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए जिस बात की सबसे अधिक आवश्यकता है, वह यह है कि अपने देशवासियों के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन हम अपने ही देश में उत्पन्न करें। बिना अन्न की समस्या हल किए हमारी समस्त उन्नति की योजनाएँ और हमारे सब सुनहरे स्वप्न निष्फल ही रहेंगे।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) उपर्युक्त गद्यांश में लेखक ने किस समस्या पर प्रकाश डाला है?
उत्तर– लेखक ने खाद्य-समस्या पर प्रकाश डाला है। इसमें कहा गया है कि जब तक हमारे देश की आर्थिक अवस्था नहीं सुधरती और हम अन्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं होते तब तक सुनहरे भविष्य की आशाएँ पूरी नहीं हो सकतीं।

(ख) गद्यांश का सार संक्षेपण कीजिए।
उत्तर– सार-राजनीतिक स्वतंत्रता का आनंद बिना आर्थिक स्वतंत्रता और स्वावलंबन के प्राप्त नहीं हो सकता। देश में अन्न की समस्या का समाधान किए बिना स्वप्न साकार नहीं होंगे।

Solved Apathit Gadyanshs for Class 8


11 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

विद्यार्थियों में अनेक बुराइयाँ कुसंगति के कारण पैदा होती हैं, पहले विद्यार्थी पढ़ाई में रुचि लेता था, किंतु अब वह फिल्म देखने में मस्त है। यह सब कुसंगति का प्रभाव है, आरंभ में उसे कोई विद्यार्थी फिल्म दिखा देता है, फिर उसे आदत पड़ जाती है। यही हाल धूम्रपान करने वालों और शराब पीने वालों का है। आरंभ में कुछ लोग शौकिया तौर पर सिगरेट या शराब पीते हैं, बाद में वे आदी बन जाते हैं। इस प्रकार कुसंगति उन्हें बुराइयों में फंसा देती है, इस कुसंगति से मर्यादा और सात्विक वृत्तियों का नाश हो जाता है।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) विद्यार्थियों में बुराइयों का क्या कारण है?
उत्तर– विद्यार्थियों में बुराइयों का कारण कुसंगति है।

(ख) कुसंगति से किन गुणों का नाश होता है?
उत्तर– कुसंगति से मर्यादा और सात्विक वृत्तियों का नाश होता है।

(ग) “धूम्रपान’ और ‘सात्विक’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर– धूम्रपान = तंबाकू का सेवन करना। सात्विक = अच्छी वृत्ति वाला।

(घ) इस गद्यांश का सार-संक्षेपण कीजिए।
उत्तर– सार-संक्षेपण – कुसंगति के कारण विद्यार्थियों में अनेक बुराइयाँ पैदा होती हैं, पहले शौकिया तौर पर शराब और सिगरेट का सेवन करने के बाद, आदी बन जाते हैं। इससे मर्यादा और सात्विक वृत्तियों का नाश होता है।

Case based Apathit Gadyansh for Class 8


12 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय है – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। एक अध्यापक छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने को अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों को निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधाओं रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) मनुष्य को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं
(i) निर्भीकता, साहस, परिश्रम
(ii) परिश्रम, लगन, आत्मविश्वास
(iii) साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति, परिश्रम
(iv) परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन

उत्तर- (iv)

(ख) प्रत्येक समस्या अपने साथ लेकर आती है–
(i) संघर्ष
(ii) कठिनाइयाँ
(iii) चुनौतियाँ
(iv) सुखद परिणाम

उत्तर- (i)

(ग) समस्त ग्रंथों और अनुभवों का निष्कर्ष है
(i) संघर्ष से डरना या विमुख होना अहितकर है।
(ii) मानव-धर्म के प्रतिकूल है।
(iii) अपने विकास को बाधित करना है।
(iv) उपर्युक्त सभी

उत्तर- (iv)

(घ) ‘मानवीय’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय है
(i) मानवी + य
(ii) मानव + ईय
(iii) मानव + नीय
(iv) मानव + इय

उत्तर- (ii)

(ङ) संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़ने के लिए आवश्यक है
(i) दृढ़ संकल्प, निडरता और धैर्य
(ii) दृढ़ संकल्प, उत्साह एवं साहस
(iii) दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास और साहस
(iv) दृढ़ संकल्प, उत्तम चरित्र एवं साहस

उत्तर- (ii)

Class 8 Solved Apathit Gadyansh


13 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

मानव जाति को अन्य जीवधारियों से अलग करके महत्त्व प्रदान करने वाला जो एकमात्र गुरु है, वह है उसकी विचार-शक्ति। मनुष्य के पास बुधि है, विवेक है, तर्कशक्ति है अर्थात उसके पास विचारों की अमूल्य पूँजी है। अपने सविचारों की नींव पर ही आज मानव ने अपनी श्रेष्ठता की स्थापना की है और मानव-सभ्यता का विशाल महल खड़ा किया है। यही कारण है कि विचारशील मनुष्य के पास जब सविचारों का अभाव रहता है तो उसका वह शून्य मानस कुविचारों से ग्रस्त होकर एक प्रकार से शैतान के वशीभूत हो जाता है। मानवी बुधि जब सद्भावों से प्रेरित होकर कल्याणकारी योजनाओं में प्रवृत्त रहती है तो उसकी सदाशयता का कोई अंत नहीं होता, किंतु जब वहाँ कुविचार अपना घर बना लेते हैं तो उसकी पाशविक प्रवृत्तियाँ उस पर हावी हो उठती हैं। हिंसा और पापाचार का दानवी साम्राज्य इस बात का द्योतक है कि मानव की विचार-शक्ति, जो उसे पशु बनने से रोकती है, उसका साथ देती है।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) मानव जाति को महत्त्व देने में किसका योगदान है?
(i) शारीरिक शक्ति का
(ii) परिश्रम और उत्साह का
(iii) विवेक और विचारों का
(iv) मानव सभ्यता का

उत्तर- (iii)

(ख) विचारों की पूँजी में शामिल नहीं है
(i) उत्साह
(ii) विवेक
(iii) तर्क
(iv) बुधि

उत्तर- (i)

(ग) मानव में पाशविक प्रवृत्तियाँ क्यों जागृत होती हैं?
(i) हिंसाबुधि के कारण
(ii) असत्य बोलने के कारण
(iii) कुविचारों के कारण
(iv) स्वार्थ के कारण

उत्तर- (iii)

(घ) “मनुष्य के पास बुधि है, विवेक है, तर्कशक्ति है’ रचना की दृष्टि से उपर्युक्त वाक्य है
(i) सरल
(ii) संयुक्त
(iii) मिश्र
(iv) जटिल

उत्तर- (i)

(ङ) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है
(i) मनुष्य का गुरु
(ii) विवेक शक्ति
(iii) दानवी शक्ति
(iv) पाशविक प्रवृत्ति

उत्तर- (ii)

Discursive Passage Hindi for Class 8


14 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

मनुष्य को चाहिए कि संतुलित रहकर अति के मार्गों का त्यागकर मध्यम मार्ग को अपनाए। अपने सामर्थ्य की पहचान कर उसकी सीमाओं के अंदर जीवन बिताना एक कठिन कला है। सामान्य पुरुष अपने अहं के वशीभूत होकर अपना मूल्यांकन अधिक कर बैठता है और इसी के फलस्वरूप वह उन कार्यों में हाथ लगा देता है जो उसकी शक्ति में नहीं हैं। इसलिए सामर्थ्य से अधिक व्यय करने वालों के लिए कहा जाता है कि ‘तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर’। उन्हीं के लिए कहा गया है कि अपने सामर्थ्य , को विचार कर उसके अनुरूप कार्य करना और व्यर्थ के दिखावे में स्वयं को न भुला देना एक कठिन साधना तो अवश्य है, पर सबके लिए यही मार्ग अनुकरणीय है।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) अति का मार्ग क्या होता है?
(i) असंतुलित माग
(ii) संतुलित मार्ग
(iii) अमर्यादित मार्ग
(iv) मध्यम मार्ग

उत्तर- (iii)

(ख) कठिन कला क्या है?
(i) सामर्थ्य के बिना सीमारहित जीवन बिताना
(ii) सामर्थ्य को बिना पहचाने जीवन बिताना
(iii) सामर्थ्य की सीमा में जीवन बिताना
(iv) सामर्थ्य न होने पर भी जीवन बिताना

उत्तर- (iii)

(ग) मनुष्य अहं के वशीभूत होकर
(i) अपने को महत्त्वहीन समझ लेता है।
(ii) किसी को महत्त्व देना छोड़ देता है।
(iii) अपना सर्वस्व खो बैठता है।
(iv) अपना अधिक मूल्यांकन कर बैठता है।

उत्तर- (iv)

(घ) “तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर’ का आशय है
(i) सामर्थ्य के अनुसार कार्य न करना
(ii) सामर्थ्य के अनुसार कार्य करना
(iii) व्यर्थ का दिखावा करना
(iv) आय से अधिक व्यय करना

उत्तर- (ii)

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का शीर्षक हो सकता है
(i) आय के अनुसार व्यय
(ii) दिखावे में जीवन बिताना
(iii) सामर्थ्य से अधिक व्यय करना
(iv) सामर्थ्य के अनुसार कार्य करना

उत्तर- (iv)

Apathit Gadyansh for Class 8 with answers pdf


15 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

वातावरण एवं वायु-मंडल का दूषित होना प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषण की समस्या संपूर्ण विश्व में बड़ी ही तीव्रता से अपना प्रभाव जमाती जा रही है। आज समस्त मानव जाति इस समस्या से आतंकित है, और विश्व का प्रत्येक देश अपने-अपने ढंग से इस समस्या के समाधान में सलंग्न है। प्रदूषण एक ऐसी विकट समस्या है, जिसका समुचित समाधान नहीं हो पा रहा है। वैज्ञानिकों का मत है कि समय रहते यदि तत्काल फैल रहे इस प्रदूषण को सही ढंग से नियंत्रित नहीं किस्म गया तो आगामी दशकों में संपूर्ण धरती किसी भी जीवधारी के रहने योग्य नहीं रहेगी। प्रदूषण का प्रभाव वनस्पतियों पर भी होगा और यह शस्यश्यामला धरती विकृत वनस्पतियों के कारण अपनी संपूर्ण सुन्दरता एवं उपादेयता खो देगी।

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये :-

(क) आज मानवजाति को कौन-सी समस्या भयभीत कर रही है?
(1) वातावरण की समस्या
(2) प्रदूषण की समस्या
(3) वायुमंडल की समस्या
(4) संपूर्ण विश्व की समस्या

(ख) हर देश इस समस्या के लिए क्या कर रहा है?
(1) बढ़ा रहा है
(2) वार्तालाप कर रहा है
(3) समाधान के उपाय ढूँढ रहा है
(4) हल खोज लिया है

(ग) इस समस्या के दुष्परिणाम के बारे में असत्य कथन कौन-सा हैं?
(1) पृथ्वी प्राणियों के रहने योग्य नहीं रहेगी
(2) प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ जाएँगी
(3) वनस्पतियों को बहुत क्षति पहुँचेगी
(4) पृथ्वी की सुन्दरता नष्ट हो जाएगी

(घ) धरती का सौंदर्य किनके कारण बना हुआ हैंं?
(1) ऊँचे भवनों के कारण
(2) जीवधारियों के कारण
(3) वनस्पतियों के कारण
(4) वैज्ञानिकों के कारण

(ङ) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक हो सकता है-
(1) धरती का सौंदर्य
(2) धरती की सुन्दरता
(2) विकट समस्या
(4) प्रदूषण-एक विकट समस्या

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Q.2: What precaution should we take before writing the answer in the unseen passage for class 8?


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Q.3: How do we score high marks in the unseen passage for class 8?


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