Unseen Poems for Class 9 Hindi अपठित काव्यांश
Unseen poem class 9 is the most important part to score higher marks in your exam. .Reading the unseen poem class 9 in Hindi will help you to write better answers in your exam and improve your reading skill.
Students who are planning to score higher marks in class 9 Hindi poem should practice the Hindi poem for class 9 before attending the CBSE board exam.
It is compulsory to solve the unseen poem class 9 because you need to score higher marks in your exam.
To improve your skills, we have provided you with the unseen poem class 9 with answers.
While Solving the poem, you will see some unseen poem class 9 with MCQs also present in them.
It is provided to make yourself an expert by solving them and score good marks in your exam. You can also practice unseen poems for class 9 in English.
Steps to attempt unseen passage class 9
Before solving the poem, we want to give you some tips to help you in unseen poem class 9
1-Read each and every one of the lines carefully in the poem. Read the poem twice, it will help you in understanding more about the poem and make it less difficult for you to find the answer.
2-If the poem has a title, then read it first as it gives you the basic idea about the poem.
3-While reading the poem underline all the word which you find difficult because you can be tested on those word in the vocabulary question.
4-Always give importance to the beginning and end of the poem because it often has the most important information of the poem.
5-While answering the question be sure that you have completely understood the question because the answer should be relevant to the question. Don’t try to give a general answer.
6-Ensure that you answer the question as it carries how much mark is needed. The subjective question should be answered incomplete sentence.
7-Write the answer in your own language and modify the answer according to the question.
8-Answer should be derive from the information in given poem.
9-Ensure that you use a similar tense in which the question has been asked.
10-In MCQs read the questions and options properly before choosing the correct option because all options are often related.
9- Write the correct question number in answer sheet to avoid mistake.
अपठित काव्यांश
अपठित काव्यांश क्या है?
वह काव्यांश, जिसका अध्ययन हिंदी की पाठ्यपुस्तक में नहीं किया गया है, अपठित काव्यांश कहलाता है। परीक्षा में इन काव्यांशों से विद्यार्थी की भावग्रहण-क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।
परीक्षा में प्रश्न का स्वरूप
परीक्षा में विद्यार्थियों को अपठित काव्यांश दिया जाएगा। उस काव्यांश से संबंधित पाँच लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे जाएँगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा तथा कुल प्रश्न पाँच अंक के होंगे।
अपठित काव्यांश हल करने की विधि :
* सर्वप्रथम काव्यांश का दो-तीन बार अध्ययन करें ताकि उसका अर्थ व भाव समझ में आ सके।
* तत्पश्चात् काव्यांश से संबंधित प्रश्नों को ध्यान से पढ़िए।
* प्रश्नों के पढ़ने के बाद काव्यांश का पुनः अध्ययन कीजिए ताकि प्रश्नों के उत्तर से संबंधित पंक्तियाँ पहचानी जा सकें।
* प्रश्नों के उत्तर काव्यांश के आधार पर ही दीजिए।
* प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट होने चाहिए।
* उत्तरों की भाषा सहज व सरल होनी चाहिए।
Unseen Poem class 9 with answers
01 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
है जन्म लेते जगह में एक ही|
एक ही पौधा उन्हें है पालता||
रात में उन पर चमकता चांद भी|
एक ही-सी चांदनी है डालता||
मेह उन पर है बरसता एक-सा|
एक-सी उन पर हवाएं है बही||
पर सदा ही यह दिखाता है हमें|
ढंग उनके एक-से होते नहीं||
छेदकर कांटा किसी की उंगलियां
फाड़ देता है किसी का वर वासन||
प्यार-डूबी तितलियों का पर कतर|
भौर का है बोध देता श्याम तन||
फूल लेकर तितलियों को गोद में|
भौर को अपना अनूठा रस पिला||
‘निज सुगंधो औ’ निराले रंग से|
है सदा देता कली जी की खिला||
है खटकता एक सब की आंख में|
दूसरा है सोहता सुर-शीश पर||
किस तरह कुल की बढ़ई काम दे|
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर||
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) ‘हे जन्म लेते जगह….. ढंग उनके एक से होते नहीं’ पंक्तियों में कवि ने फूल और कांटे के विषय में क्या कहा है?
उत्तर– कवी कहता है कि फूल और कांटा एक साथ एक ही डाली पर जन्म लेते हैं तथा एक ही पौधा उनका लालन-पालन करता है| इसके अलावा चंद्रमा भी उन दोनों पर समान रूप से अपनी चांदनी डालता है| दोनों पर समान वर्षा होती है और दोनों एक जैसी वायु की गोद में झूलते हैं इसके बावजूद दोनों के ढंग एक जैसे नहीं होते|
(ख) एक ही वातावरण में पले-बढ़े फूल और कांटे का जीवन किस प्रकार भिन्न होता है पद्यांश के अंतिम पद के आधार पर स्पष्ट कीजिये|
उत्तर– भले ही फूल और कांटे समान वातावरण में बड़े होते हैं फिर भी उनकी प्रकृति भिन्न होती है| कांटा यदि किसी की उंगली में लग जाता है तो उंगली फाड़ देता है और कपड़ों में लग जाए तो कपड़ा फाड़ देता है| इसके अलावा प्यारी-प्यारी तितलियों के पर काट देता है तथा भौरो के शरीर को बेध देता है| दूसरी और फूल उन्हीं तितलियों को अपने अंक में स्थान देता है और भंवरो को अपने रस का पान कराता है|
(ग) इस कविता में फूल और कांटे किसका प्रतीक है|
उत्तर– भले और बुरे लोगों के प्रतीक हैं|
(घ) ‘आंख में खटकना’ मुहावरे का अर्थ स्पष्ट कीजिए|
उत्तर– मुहावरे का अर्थ है- बुरा लगना|
(ड) कौन व्यक्ति अपने कुल का नाम रोशन नहीं कर पाता ?
उत्तर– जिसमें बड़प्पन नहीं होता वह अपने कुल का नाम रोशन नहीं कर पाता|
02 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
मन मेरा यह चाहे छू लूं
बढ़कर मैं आकाश|
राह में लंबी जीवन छोटा
समय न मेरे पास|
फिर भी मुझको इच्छा बल से
बढ़ना है-चढ़ना है|
रास्ता चाहे कैसा भी हो
मुझको तय करना है|
दृढ़ विश्वास जो मेरा साथी
क्यों न करूं प्रयास|
मन मेरा यह चाहे छू लूं
बढ़कर मैं आकाश|
राह है लंबी जीवन छोटा
समय ना मेरे पास|
जीवन के इस इक-इक पल को
मुझको यहाँ भुनाना|
सुख चंदा-सा, दुख सूरज सा
सबको गले लगाना|
दिल में आशा किरण जगी फिर
तम की क्या औकात|
मन मेरा यह चाहे छू लूं
बढ़कर मैं आकाश|
राह है लंबी जीवन छोटा
समय ना मेरे पास|
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) कवि का मन क्या चाहता है? पहले पद के आधार पर उत्तर दीजिए|
उत्तर– कवि का मन चाहता है कि वह उड़कर आकाश को छू ले| अर्थात वह असंभव से संभव कार्य कर ले, क्योंकि व्यक्ति का जीवन छोटा होता है, समय कम है, और राह लंबी है अर्थात कार्य बहुत करने को है| कभी कहता है कि यह सब होते हुए भी वह हर तरह की स्थिति में अपनी इच्छाशक्ति एवं दृढ़ विश्वास के बल पर आगे बढ़ सकता है|
(ख) अंतिम पद में कवि ने क्या कहा है, स्पष्ट कीजिए|
उत्तर– अंतिम पद में कभी कहता है उसे समय नष्ट नहीं करना है पल पल कार्य करते जाना है जीवन में सुख और दुख दोनों आएंगे पर मनुष्य को चाहिए कि वह दोनों को मन से स्वीकार करें| यदि व्यक्ति आशावादी है तो निराशा रूपी अंधकार उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता|
(ग) ‘राह है लंबी, जीवन छोटा, समय ना मेरे पास’ पंक्ति का क्या आशय है?
उत्तर– जीवन में करने के लिए बहुत कुछ है और समय बहुत कम है|
(घ) जीवन के इक-इक पल को भुनाने से कवि क्या तात्पर्य है?
उत्तर– व्यक्ति को हर पल की कीमत पहचान भी चाहिए और बिना समय गंवाए अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए|
(ड) ‘सुख चंदा सा’ पंक्ति में कौनसा अलंकार है?
उत्तर– उपमा अलंकार
03 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी|
बूढ़े भारत में आई फिर से नई जवानी थी||
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी|
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी||
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी|
बुंदेले हरबोलों को मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी||
कानपुर के नाना की, मुंह बोली बहन छबीली थी|
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की यह संतान अकेली थी||
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी|
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी||
वीर शिवाजी की गाथाएं उसको याद जवानी थी|
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी||
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी, वह स्वयं वीरता की अवतार|
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारो के वार||
नकली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार|
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़||
महाराष्ट्र कुल देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी|
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी||
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध किस तरह की चेतना जागृत हुई? पहले पद के आधार पर उत्तर दीजिए|
उत्तर– अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीय रजवाड़े खड़े हो गए और सबने अंग्रेजो को भारत से बाहर निकालने की मन में ठान ली थी| इस तरह से ऐसा लगता था मानो बूढ़े भारत में फिर से जवानी आ गई हो| सन 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध तलवारें चमक उठीं|
(ख) रानी लक्ष्मी बाई के बचपन का चित्रण किस रूप में किया गया है?
उत्तर– लक्ष्मीबाई अपने पिता की अकेली संतान थी तथा कानपुर के नाना साहब की वह मुंह बोली बहन थी| बचपन में वह नाना के साथ ही पढ़ती थी और उन्हीं के साथ खेलती थी| उसी समय उसने सभी अस्त्र शस्त्र चलाना भी सीख लिया था|
(ग) ‘चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी’ पंक्ति का क्या आशय है?
उत्तर– सन 1857 में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध संग्राम छेड़ दिया था|
(घ) ‘महाराष्ट्र कुल देवी’ कौन थी?
उत्तर– मां भवानी महाराष्ट्र कुल देवी थी|
(ड) मराठे क्या देखकर पुलकित होते थे?
उत्तर– रानी लक्ष्मीबाई के तलवारों के वार देखकर मराठे पुलकित होते थे|
04 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
रण-बीच चौकड़ी भर-भर कर,
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े का,
(पड़ गया हवा से पाला था)
गिरता न कभी चेतक तन पर,
राणा प्रताप का घोड़ा था।
(वह दौड़ रहा अरि मस्तक पर)
या आसमान पर घोड़ा था।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर– शीर्षक-‘चेतक’
(ख) इस पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
उत्तर– महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था जो बड़ा ही अनोखा था। वह हल्दीघाटी के मैदान में तीव्र गति से दौड़ रहा था। उसे दौड़ाने के लिए कोड़ा न मारना पड़ता था। वह इतना समझदार था कि राणा का संकेत पाते ही मुड़ जाता था और शत्रुओं के मस्तक पर पैर रखता हुआ दौड़ पड़ता था।
(ग) कोष्ठांकित शब्दों का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– पड़ गया हवा से पाला था-राणा प्रताप के घोड़े की तीव्र गति को देखकर ऐसा प्रतीत होता था मानो वायु भी उसकी गति से हार मान गई है।
वह दौड़ रहा अरि मस्कक पर-राणा प्रताप का घोड़ा निर्भय होकर शत्रुओं के मस्तकों को कुचलता हुआ दौड़ जाता था।
05 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
सावधान मनुष्य ! यदि विज्ञान है तलवार,
तो इसे दो फेंक तजकर मोह, स्मृति के सार।
हो चुका है सिद्ध ! है तू शिशु अभी अज्ञान;
फूल काँटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान।
खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार,
काट लेगा अंग, तीखी है, बड़ी ये धार।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) उपर्युक्त पद्यांश का उपयुक्त (सटीक) शीर्षक लिखिए।
उत्तर– उपयुक्त शीर्षक ‘विज्ञान से सचेत’।
(ख) उपर्युक्त पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर– कवि का आशय यह है कि मनुष्य को विज्ञान से सावधान रहना चाहिए। इसका प्रयोग अज्ञानता से नहीं कीजिए। मनुष्य ने अभी विज्ञान से होने वाली हानि और लाभ की भी जानकारी नहीं ली है। अतः कहीं ऐसा न हो कि अज्ञानता के कारण यह विज्ञान मनुष्य को ही हानि न पहुँचा दे।
(ग) ‘फूल और काँटों’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर– ‘फूल और काँटों’ से कवि का तात्पर्य है-लाभ और हानि।
(घ) विलोम शब्द बताइए-स्मृति, अज्ञान।
उत्तर– विस्मृति, ज्ञान।
(ड) ‘धार’ शब्द का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर– तलवार की धार तेज होती है।
06 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
लाख पक्षी सौ हिरन दल, चाँद के कितने किरण दल,
झूमते वन-फूल फलियाँ, खिल रहीं अज्ञात कलियाँ,
हरित दूर्वा रक्त किसलय, पूत पावन पूर्ण रसमय,
सतपुड़ा के घने जंगल।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) उपर्युक्त पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर– शीर्षक-‘सतपुड़ा के घने जंगल’।
(ख) कवि ने इस पद्यांश में कहाँ का वर्णन किया है?
उत्तर– कवि ने इस पद्यांश में सतपुड़ा के घने जंगलों का वर्णन किया है।
(ग) पद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर– कवि का आशय है कि सतपुड़ा के घने जंगलों में लाखों पक्षी और हिरणों के समूह विचरण करते सुन्दर लगते हैं। चन्द्रमा की चाँदनी अपनी छटा बिखेरती रहती है। वहाँ वन के फूल और फलियाँ निरन्तर विकसित होते रहते हैं जिनकी पूर्ण जानकारी हमें नहीं है। कहीं-कहीं हरी-भरी दूब घास अपने लाल-लाल किसलयों से युक्त विकास पा रहे हैं। वे वातावरण को पूर्ण पवित्रता दे रहे हैं।
(घ) विलोम शब्द बताइए-अज्ञात, पावन।
उत्तर– ज्ञात, अपावन।
(ड) ‘घने’ शब्द का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर– घने वन में असंख्य पशु-पक्षी रहते हैं।
07 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ।
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो!
हैं फूल रोकते, काँटे मुझे चलाते,
मरुस्थल, पहाड़ चलने की चाह बढ़ाते,
सच कहता हूँ मुश्किलें न जब होती हैं,
मेरे पग तब चलने में भी शरमाते,
मेरे संग चलने लगें हवाएँ जिससे,
तुम पथ के कण – कण को तूफान करो।
मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ।
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।
फूलों से मग आसान नहीं होता है,
रुकने से पग गतिवान नहीं होता है,
अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगति भी,
है नाश जहाँ निर्माण वहीं होता है,
मैं बसा सकें नव स्वर्ग धरा पर जिससे,
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर– पद्यांश का उचित शीर्षक-बाधाओं से संघर्ष करो।’
(ख) ‘मग’ के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर– पर्यायवाची शब्द-मग-पथ, मार्ग।
(ग) प्रगति कब होती है ?
उत्तर– पग-पग पर अवरोध आने पर ही प्रगति होती है।
(घ) विनाश या निर्माण का परस्पर क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर– विनाश होने पर ही निर्माण होता है। विनाश के बाद ही निर्माण सम्भव है।
(ड) इस कविता की प्रेरणा क्या है ?
उत्तर– इस कविता की प्रेरणा है कि हमें जीवन में आने वाली बाधाओं से घबराना नहीं चाहिए, उनका दृढ़तापूर्वक मुकाबला करना चाहिए।
08 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
सच हमें नहीं सच तुम नहीं
सच है महज संघर्ष ही।
संघर्ष से हटकर जिए तो क्या जिए हम या कि तुम।
जो नत हुआ वह मृत हुआ ज्यों वृंत से झर के कुसुम।
जो लक्ष्य भूल रुका नहीं।
जो हार देख झुका नहीं।
जिसने प्रणय पाथेय माना जीत उसकी ही रही।
सच हम नहीं सच तुम नहीं।
ऐसा करो जिससे न प्राणों में कहीं जड़ता रहे।
जो है जहाँ चुपचाप अपने-आप से लड़ता रहे।
जो भी परिस्थितियाँ मिलें।
काँटे चुनें, कलियाँ खिलें।
हारे नहीं इंसान, है संदेश जीवन का यही।
सच हम नहीं सच तुम नहीं।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) कवि के अनुसार सच क्या है ?
उत्तर– कवि के अनुसार केवल संघर्ष ही सच है।
(ख) ‘जो नत हुआ सो मृत हुआ’-का क्या आशय है ?
उत्तर– संघर्ष से डरकर जो पीछे हट जाता है, उसको जीवन का आनन्द नहीं मिलता।
(ग) जीत किसकी होती है ?
उत्तर– अपने लक्ष्य पर डटे रहने वाले तथा हार से भी न डरने वाले की जीत होती है।
(घ) इस कविता में छाँटकर कोई दो विलोम शब्द लिखिए।
उत्तर– कविता में प्रयुक्त विलोम शब्द-हार-जीत।
(ड) कविता का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर– कविता का उपयुक्त शीर्षक है-संघर्ष ही जीवन है।
09 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
पावस ऋतु थी पर्वत प्रदेश,
पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश।
मेखलाकार पर्वत अपार
अपने सहस्र दृग-सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार-बार।
नीचे जल में निज महाकार,
जिसके चरणों में पला ताल
दर्पण सा फैला है विशाल।
गिरि के गौरव गाकर झर-झर
मद में नस-नस उत्तेजित कर
मोती की लड़ियों से सुंदर
झरते हैं झाग भरे निर्झर।
गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर।
है झांक रहे नीरव नभ पर
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) प्रथम पंक्ति में किस ऋतु का वर्णन है ?
उत्तर– प्रथम पंक्ति में वर्षा ऋतु का वर्णन है।
(ख) वर्षा ऋतु में प्रकृति का रूप कैसा लग रहा है ?
उत्तर– वर्षा ऋतु में प्रकृति पल-पल में अपना रूप बदल रही है।
(ग) पर्वत की वर्षाकालीन शोभा किसमें दिखाई दे रही है?
उत्तर– पर्वत की वर्षाकालीन शोभा नीचे बने विशाल ताल के जल में दिखाई दे रही है।
(घ) इस पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर– पद्यांश का उचित शीर्षक है-‘पावस ऋतु’।
(ड) ‘गिरि का गौरव गाकर’ में अलंकार लिखिए।
उत्तर– ‘गिरि का गौरव गाकर’ में अनुप्रास अलंकार है।
10 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
बढ़े चलो, बढ़े चलो, चले चलो।
प्रचंड सूर्य-ताप से न तुम जलो, न तुम गलो।।
पहाड़ से चली नदी, रुकी नहीं कहीं ज़रा।
गई जिधर उधर किया ज़मीन को हरा-भरा।
जली समान रूप से, ज़मीन का न ख्याल कर।
मगन रही निनाद में, ज़मीन पर, पहाड़ पर।
उसी तरह चले चलो, उसी तरह बढ़े चलो।
जलाओ दिल के दाग से बुझे दिलों के दीप को।
जो दूर हैं उन्हें भी खींच लो ज़रा समीप को।
सही ज़मीन की तरह, डरो न आसमान से।
जलो तो आन-बान से, बुझो तो एक शान से।
अखंड दीप से जलो, सदा बहार से खिलो।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) कवि ने किन-किन से प्रेरणा लेने की बात की है?
(ख) काव्यांश का मूल भाव लिखिए।
(ग) ‘बुझे दिलों’ का क्या आशय है?
(घ) कवि ने कैसे बुझने के लिए कहा है?
(ङ) “अखंड दीप से जलो” में कौन-सा अलंकार है?
11 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्वान फिर-फिर!
वह उठी आँधी कि नभ में
छा गया सहसा अँधेरा,
धूलि धूसर बादलों ने
भूमि को इस भाँति घेरा,
रात-सा दिन हो गया, फिर
रात आई और काली,
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सवेरा,
रात के उत्पात-भय से
भीत जन-जन, भीत कण-कण
किंतु प्राची से उषा की
मोहिनी मुस्कान फिर-फिर!
नीड़ का निर्माण फिर-फिर,
नेह का आह्णान फिर-फिर!
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) ‘छा गया सहसा अँधेरा’ पंक्ति का भाव है
(1) सहसा बादलों का छा जाना
(2) सहसा धुल भरी आँधी चलना
(3) सहसा जीवन में कष्टों का आगमन
(4) सहसा बिजली का चले जाना
उत्तर- (3)
(ख) रात आने पर कवि को लगा
(1) रात में रास्ता भटक जाने का डर
(2) मुसीबतों का समाप्त न होने का डर
(3) रात में अकेले होने का डर
(4) निशा न समाप्त होने का डर
उत्तर- (2)
(ग) उषा की मोहिनी मुस्कान सन्देश देती है
(1) सवेरा होने पर अँधेरा दूर हो जाता है
(2) सुबह सबका मन मोह लेती है
(3) सवेरा होने पर सभी काम में लग जाते हैं
(4) दुःख के बाद सुख का आगमन होता है
उत्तर- (4)
(घ) कवि घोंसले का पुनर्निर्माण चाहता है क्योंकि
(1) कवि घोंसला बनाने की कला जानता है
(2) कवि घोंसला बना कर पक्षियों को आश्रय देना चाहता है
(3) कवि आशावादी है
(4) कवि चाहता है कि पक्षी घोंसला बनाये
उत्तर- (3)
(ङ) पद्यांश सन्देश देता है
(1) कष्टों से नहीं घबराना
(2) दुखों का अंत जरूर होता है
(3) जीवन में आशावादी होना
(4) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (4)
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Frequently Asked Questions-Unseen Poem class 9(FAQ)
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Answer: Do not try to write the answer without reading the poem Read all the alternatives very carefully, don’t write the answer until you feel that you have selected the correct answer. Check your all answers to avoid any mistakes.
Answer: Study the question before reading the poem. After that, read the poem and highlight the word which you find related to the question and a line before that word and one after that. With this strategy, you will be able to solve most questions and score higher marks in your exam.
Answer: A Seen poem is a poem which you have already read and know what is in it.While in the unseen poem, you are not familiar with the poem and don’t know what is in it.
Answer: Take a clock and set the time in which you should just complete all questions.If you can’t complete the poem in that time.don’t worry, find that part in which you take a long time to solve the question. By doing this, you can easily manage your time to solve the question of passage.