Unseen Poems for Class 7 Hindi अपठित काव्यांश
Unseen poem class 7 is the most important part to score higher marks in your exam. .Reading the unseen poem class 7 in Hindi will help you to write better answers in your exam and improve your reading skill.
Students who are planning to score higher marks in the 7th standard Hindi poem should practice the Hindi poem class 7 before attending the CBSE board exam.
It is compulsory to solve the unseen poem class 7 because you need to score higher marks in your exam.
To improve your skills, we have provided you with the unseen poem class 7 with answers.
While Solving the poem, you will see some unseen poem class 7 with MCQs also present in them. It is provided to make yourself an expert by solving them and score good marks in your exam. You can also practice unseen poems class 7 in English.
Important Tips to score good marks in Unseen Poem class 7
1-Read the entire poem carefully 2 or 3 times so that you can understand the theme of the poem.
2-After reading the question, underline the related words of the given poem which you find the correct answer.
3-Write your answer in a simple,easy and your own word.
4-Remember that you should use your own word in your answer. Do not copy the sentence from the given poem.
5-Do not make grammatical mistakes while writing the answer. Take good care in the use of punctuation also.
6-A few answers should not be placed in a similar paragraph. Each answer has to be written in a different passage and must have its number relating to that of the question.
अपठित काव्यांश
अपठित काव्यांश किसी कविता का वह अंश होता है, जो पाठ्यक्रम में शामिल पुस्तकों से नहीं लिया जाता है। यह अंश छात्रों द्वारा पहले पढ़ा गया नहीं होता बल्कि नया होता है।
अपठित काव्यांश का उद्देश्य काव्य पंक्तियों का भाव और अर्थ समझना, कठिन शब्दों के अर्थ समझना, प्रतीकार्थ समझना, काव्य सौंदर्य समझना, भाषा-शैली समझना तथा काव्यांश में निहित संदेश। शिक्षा की समझ आदि से संबंधित विद्यार्थियों की योग्यता की जाँच-परख करना है।
अपठित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों को हल करने से पहले काव्यांश को दो-तीन बार पढ़ना चाहिए तथा उसका भावार्थ और मूलभाव समझ में आ जाए। इसके लिए काव्यांश के शब्दार्थ एवं भावार्थ पर चिंतन-मनन करना चाहिए। छात्रों को व्याकरण एवं भाषा पर अच्छी पकड़ होने से यह काम आसान हो जाता है। यद्यपि गद्यांश की तुलना में काव्यांश की भाषा छात्रों को कठिन लगती है। इसमें प्रतीकों का प्रयोग इसका अर्थ कठिन बना देता है, फिर भी निरंतर अभ्यास से इन कठिनाइयों पर विजय पाई जा सकती है।
अपठित काव्यांश संबंधी प्रश्नों को हल करते समय निम्नलिखित प्रमुख बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए-
* काव्यांश को दो-तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़ना और उसके अर्थ एवं मूलभाव को समझना।
* कठिन शब्दों या अंशों को रेखांकित करना।
* प्रश्न पढ़ना और संभावित उत्तर पर चिह्नित करना।
* प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रतीकार्थों पर विशेष ध्यान देना।
* प्रश्नों के उत्तर काव्यांश से ही देना; काव्यांश से बाहर जाकर उत्तर देने का प्रयास न करना।
* उत्तर अपनी भाषा में लिखना, काव्यांश की पंक्तियों को उत्तर के रूप में न उतारना।
* यदि प्रश्न में किसी भाव विशेष का उल्लेख करने वाली पंक्तियाँ पूछी गई हैं, तो इसका उत्तर काव्यांश से समुचित भाव व्यक्त करने वाली पंक्तियाँ ही लिखना चाहिए।
* शीर्षक काव्यांश की किसी पंक्ति विशेष पर आधारित न होकर पूरे काव्यांश के भाव पर आधारित होना चाहिए।
* शीर्षक संक्षिप्त आकर्षक एवं अर्थवान होना चाहिए।
* अति लघुत्तरीय और लघुउत्तरीय प्रश्नों के उत्तर में शब्द सीमा का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
* प्रश्नों का उत्तर लिखने के बाद एक बार दोहरा लेना चाहिए ताकि असावधानी से हुई गलतियों को सुधारा जा सके।
* काव्यांश को हल करने में आनेवाली कठिनाई से बचने के लिए छात्र यह उदाहरण देखें और समझें-
Unseen Poem class 7 with answers
01 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
हारा हूँ सौ बार, गुनाहों से लड़-लड़कर
लेकिन बारंबार लड़ा हूँ, मैं उठ-उठ कर।
इससे मेरा हर गुनाह भी मुझसे हारा,
मैंने अपने जीवन को इस तरह उबारा।
डूबा हूँ हर रोज़ किनारे तक आ-आकर
लेकिन मैं हर रोज उगा हूँ जैसे दिनकर बनकर।
इससे मेरी असफलता भी मुझसे हारी,
मैंने अपनी सुंदरता भी इस तरह सँवारी।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) कवि अपने हर गुनाह को कैसे जीत पाया?
उत्तर– कवि गुनाहों से निरंतर संघर्ष करता रहा। इस संघर्ष में वह कभी हारता तो कभी जीतता। सैकड़ों बार इस तरह संघर्ष करने से उसका गुनाह हारता गया और अंततः वह विजयी रहा।
(ख) “डूबा हूँ हर रोज किनारे तक आ-आकर” का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– कवि अपने लक्ष्य को पाने के लिए सतत प्रयास करता रहा। इस प्रयास के कारण वह लक्ष्य के समीप तक पहुँच गया, परंतु इसके बाद भी लक्ष्य को प्राप्त न कर सका।
(ग) काव्यांश का मुख्य संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– काव्यांश का संदेश यह है कि मनुष्य को अपने जीवन की असफलताओं से हारे बिना निरंतर संघर्ष एवं प्रयास करना चाहिए। सफलता की प्राप्ति में देरी होने पर भी हमें निराश नहीं होना चाहिए तथा आशावान बने रहना चाहिए।
02 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी-भर देखी
पकी सुनहली फसलों की मुसकान
-बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी-भर भोगे
धान कूटती किशोरियों की कोकिल-कंठी तान
-बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी-भर सूंघे
मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताजे-टटके फूल
-बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी-भर छू पाया
अपनी गँवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल
-बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद
अबकी मैंने जी-भर तालमखाना खाया
गन्ने चूसे जी भर
-बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी-भर सुन पाया
गंध-रूप-रस-शब्द-स्पर्श सब साथ-साथ भू पर
-बहुत दिनों के बाद
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) कवि ने युवतियों को क्या करते देखा? उनका स्वर कैसा था?
उत्तर– गाँव में कवि ने किशोरियों को धान कूटते देखा। धान कूटते हुए वे गीत गा रही थी। उनका स्वर कोयल के समान कर्णप्रिय और मधुर था।
(ख) कवि ने किन फूलों को सूंघा? उनकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर– कवि ने गाँव में बहुत दिनों के बाद मौलसिरी के फूल सूंघे। मौलसिरी के ये फूल बहुत सारे जो ताजे-ताजे खिले थे।
(ग) कवि ने अपनी किन-किन इंद्रियों को तृप्त किया और कैसे?
उत्तर– कवि ने अपनी नाक, कान, जीभ, आँख और त्वचा और पाँचों इंद्रियों को तृप्त किया। उसने फूल सँघकर नाक को, गायन सुनकर कान को, गन्ने चूसकर जीभ को, फ़सलों को देखकर आँख को तथा चंदनवर्णी धूल छूकर त्वचा को तृप्त किया।
03 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
मैत्री की राह बताने को
सबको सन्मार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान हस्तिनापुर आए,
पांडवों का संदेशा लाए।
“दो न्याय अगर तो आधा दो
पर इसमें भी यदि बाधा हो
तो दे दो केवल पाँच ग्राम
रखो अपनी धरती तमाम
हम वहीं खुशी से खाएँगे
परिजन पर असि न उठाएँगे।”
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) मैत्री की राह बताने की आवश्यकता किसे थी? यह कार्य करने कौन आया था?
उत्तर– कौरव, मित्रता और न्याय की बातें भूलकर युद्ध करने को तत्पर थे। वे कोई बात मानने को तैयार न थे। कौरवों को मित्रता की राह बताने के लिए श्रीकृष्ण पांडवों का दूत बनकर हस्तिनापुर आए थे।
(ख) काव्यांश में किस भीषण विध्वंस की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर– काव्यांश में उस विध्वंस की ओर संकेत किया गया है, जो कौरव एवं पांडवों के बीच समझौता न हो पाने के कारण हो सकता था। ऐसी दशा में यहायुद्ध होना तय था।
(ग) श्रीकृष्ण, पांडवों का क्या संदेश लेकर, किसके पास गए थे?
उत्तर– श्रीकृष्ण, दुर्योधन के पास पांडवों का यह संदेश लाए थे कि न्याय के अनुसार आधा राज्य दे दो, पर इसमें यदि कोई बाधा हो तो पांडवों को केवल पाँच गाँव ही दे दो। वे वहीं खुशी से रह लेंगे और हथियार नहीं उठाएँगे।
04 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
नारद गए विष्णु लोक,
बोले भगवान से
“देखा किसान को
दिनभर में तीन बार
नाम उसने लिया है।
बोले विष्णु-नारद जी, आवश्यक दूसरा
एक काम आया है, तुम्हें छोड़कर कोई
और नहीं कर सकता।
साधारण विषय यह
बाद का विवाद होगा
तक तब यह आवश्यक कार्य पूरा कीजिए,
तेल पात्र यह
लेकर प्रदक्षिणा कर आइए भूमंडल की।
ध्यान रहे सविशेष
एक बूंद भी इससे तेल न गिरने पाए।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) नारद ने भगवान विष्णु के पास जाकर उन्हें क्या सूचना दी?
उत्तर– नारद मुनि ने भगवान विष्णु के पास जाकर उन्हें यह सूचना दी कि उस किसान ने पूरे दिन में आपका नाम तीन बार ही लिया है।
(ख) भगवान विष्णु ने क्या कहते हुए नारद को दूसरा काम बताया?
उत्तर– विष्णु ने यह कहते हुए नारद को दूसरा काम सौंपा कि उस काम को उनके अलावा कोई दूसरा नहीं कर सकता है।
(ग) भगवान विष्णु ने नारद को कौन-सा आवश्यक कार्य सौंपा?
उत्तर– विष्णु ने नारद को तेल से भरा पात्र लेकर पृथ्वी का एक चक्कर लगा आने का कार्य सौंपा।
(घ) नारद को किस बात का विशेष ध्यान रखना था?
उत्तर– नारद को यह विशेष ध्यान रखना था कि पृथ्वी का चक्कर लगाते समय तेल के पात्र से एक भी बूंद बाहर न गिरने पाए।
(ड) ‘पात्र’ शब्द के दो अर्थ लिखते हुए वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर– पात्र या बर्तन अब घरों में मिट्टी के पात्र कम दिखाई देते हैं। योग्य या लायक इस पुरस्कार के सच्चे पात्र तुम्ही हो।
05 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
हँसते खिलखिलाते रंग-बिरंगे फूल
क्यारी में देखकर
जी तृप्त हो गया।
नथुनों से प्राणों तक खिंच गई
गंध की लकीर-सी
आँखों में हो गई रंगों की बरसात
अनायास कह उठा दिल वाह!
धन्य है वसंत ऋतु !
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) कवि ने किस ऋतु का वर्णन किया है?
(i) पतझड़
(ii) वसंत
(iii) वर्षा
(iv) ग्रीष्म
उत्तर- (ii)
(ख) रंग-बिरंगे फूलों को देखकर कवि के हृदय में कौन-सा भाव आया?
(i) प्रसन्नता
(ii) कृतज्ञता
(iii) संतुष्टि
(iv) चापलूसी
उत्तर- (iii)
(ग) “गंध की लकीर-सी’ से क्या अभिप्राय है
(i) गंध की रेखा
(ii) हृदय में सुगंध की अनुभूति
(iii) खुशबू
(iv) सुगंध से हृदय में प्रसन्नता की अनुभूति
उत्तर- (ii)
(घ) काव्यांश का उपर्युक्त शीर्षक होगा
(i) रंग-बिरंगे फूल
(ii) वसंत ऋतु
(iii) गंध की लकीर
(iv) रंगों की बरसात
उत्तर- (ii)
06 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
छोड़ो भी, ऐसा तो जीवन में होता है,
जो कभी मिलता है, वह कभी छिनता है।
लेकिन इससे डरकर
संध्या के सिंदूरी प्रकाश मे
मंजरित तुलसी के
नीचे दीया
जलाना थोड़े ही बंद किया जाता है।
भगवान वात सुनें, न सुनें,
तो भी गंदिर तो मंदिर ही है,
उसमें जो रोज शाम दीया नहीं जलाता है,
वह तो घर लौटने के अपने ही मार्ग पर
अँधेरा फैलाता है।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) जीवन में प्रायः ………. घटनाएँ होती ही रहती हैं। (रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए)
(a) लूटने और रूठने की
(b) आने और खाने की
(c) कुछ मिलने और छिन जाने की
(d) पहनने और ओढ़ने की
उत्तर- (c)
(ख) मंजरित तुलसी के नीचे दीया जलाने का आशय
(a) तुलसी को हरा-भरा रखना
(b) जीवन की हर परिस्थिति में आस्था बनाए रखना
(c) दीया जलाकर पूजा करना
(d) भजन करना
उत्तर- (b)
(ग) घर लौटने का मार्ग कैसे मार्ग को कहा गया है ?
(a) घर जाने वाले रास्ते को
(b) घर जाने वाली गली को
(c) सुख और विश्वास से पूर्ण जीवन को
(d) निराशा और हताशा को
उत्तर- (c)
(घ) ‘अँधेरा फैलाता है’- का आशय है– (वाक्य पूरा करो)
(a) निराशा से भरा जीवन
(b) रात का अँधेरा
(c) कम रोशनी वाली रात
(d) अँधेरे को विस्तार देना
उत्तर- (a)
(ड) ‘मंजरित’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए।
(a) मंजरि + त
(b) मंजर + इत
(c) मंजर + इत
(d) मंजरी + इत
उत्तर- (d)
07 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
मैं पानी हूँ मैं जीवन हूँ
मुझसे सबका नाता।
मैं गंगा हूँ, मैं यमुना हूँ
तीरथ भी बन जाता।
मैं हूँ निर्मल पर दोष सभी,
औरों के हर लेता।
कल तक दोष तुम्हारे थे जो,
अपने में भर लेता।
पर सोचो तो मैं यों कब तक,
कचरा भरता जाऊँ!
मुझको जीवन भी कहते हैं,
मैं कैसे मरता जाऊँ!
गन्दा लहू बहा अपने में
कब तक चल पाता तन।
मैं धरती की सुन्दरता हूँ,
हर प्राणी की धड़कन।
मेरी निर्मलता से होगी,
धरती पर हरियाली।
फसलों में यौवन महकेगा,
हर आँगन दीवाली।
नदियाँ, झरने, ताल-तलैया,
कुआँ हो या कि सागर।
रूप सभी ये मेरे ही हैं,
एक बूँद या गागर।
हर पौधे की हर पत्ती की
प्यास बुझाऊँ जीभर।
पर जीना दूभर होगा ये,
दूषित हो जाने पर।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) ‘तीरथ’ का तत्सम रूप लिखिए
(a) तीर
(b) तीरथंकर
(c) तीर्थ
(d) उत्तीर्ण
उत्तर- (c)
(ख) पानी की निर्मलता किसके कारण नष्ट हुई ?
(a) हमारे दोष अपने में भरने के कारण
(b) लगातार बहने के कारण
(c) पत्ते भरने के कारण
(d) प्रकृति के कारण
उत्तर- (a)
(ग) पानी को धरती की सुन्दरता कहा गया है, क्योंकि …………। (वाक्य पूरा करो।)
(a) बहता पानी सुन्दर लगता है।
(b) झरने लगातार बहते हैं।
(c) हरियाली और फसलों से पूरी धरती सुन्दर बनती है।
(d) सागर के पानी में लहरें उठती हैं।
उत्तर- (c)
(घ) पानी के दूषित हो जाने पर क्या स्थिति होगी ?
(a) पानी साफ करने का अवसर आएगा।
(b) आदमी का इस धरती पर जीना कठिन हो जाएगा।
(c) पानी उबालना पड़ेगा।
(d) कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
उत्तर- (b)
(ड) इस कविता से ढूँढ़कर ‘पानी’ का पर्यायवाची लिखिए।
(a) निर्मल
(b) बूंद
(c) जीवन
(d) सागर
उत्तर- (c)
08 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
रंग-रंग के रूप हमारे
अलग-अलग है क्यारी-क्यारी
लेकिन हम सबसे मिलकर ही
इस उपवन की शोभा सारी
एक हमारा माली हम सब
रहते नीचे एक गगन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
सूरज एक हमारा, जिसकी
किरणें उसकी कली खिलातीं,
एक हमारा चाँद चाँदनी
जिसकी हम सबको नहलाती।
मिले एकसे स्वर हमको हैं,
भ्रमरों के मीठे गुंजन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
काँटों में मिलकर हम सबने
हँस-हँस कर है जीना सीखा,
एक सूत्र में बँधकर हमने
हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगन्ध हमारी
हम शृंगार धनी निर्धन के
हम सब सुमन एक उपवन के।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) उपवन की शोभा किस बात में है ? (सही उत्तर छाँटकर लिखिए)
(a) एक जैसा रंग-रूप होने में
(b) अलग-अलग रंग-रूप और अलग-अलग क्यारियाँ होने में
(c) कोई भी विशेषता न होने में
(d) एक जैसी क्यारियाँ होने में
उत्तर- (b)
(ख) ‘मिले एकसे स्वर हमको हैं’-का भाव है-
(a) सब एक जैसी बात बोलते हैं
(b) सबके विचारों में एकता है
(c) सब एक जैसी उल्टी-सीधी बात बोलते हैं
(d) सब जो चाहे बोल देते हैं
उत्तर- (b)
(ग) ‘काँटों में मिलकर हँस-हँस कर है जीना सीखा’ -में काँटे किसे कहा गया है ?
(a) पूलों के पास उगे काँटे
(b) खेतों के रास्तों में उगे काँटे
(c) जीवन के मार्ग में आने वाली बाधाएँ
(d) पाँव में चुभे हुए काँटे
उत्तर- (c)
(घ) ‘एक सूत्र में बँधकर हमने हार गले का बनना ‘सीखा’ का भाव है
(a) एक धागे में बाँधकर हार बनाना
(b) एकता का पालन करके प्रेम से रहना
(c) गते का हार बनाना
(d) एकता का जीवन
उत्तर- (b)
(ड) ‘हम सब सुमन एक उपवन के’-कवि ने किसे कहा है ?
(a) एक बगीचे के फूलों को
(b) एक बस्ती में रहने वालों को
(c) एक देश में प्रेमपूर्वक रहने वालों को
(d) भेदभाव फैलाने वालों को
उत्तर- (c)
09 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
सच है, विपत्ति जब आती कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक न ही धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं।
मुँह से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सह हैं, उद्योग निरत रत रहते हैं,
शूलों का मूल नसाते हैं, बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) विपत्ति से कौन डरते हैं?
1.सूरमा
2. कायर
3. साहसी
4. वीर
(ख) ‘काँटों में राह बिछाने’ का आशय है –
1. काँटे हटाना
2. रास्ता बनाना
3. मुसीबतों पर विजय पाना
4. मुशकिलों से बच निकलना
(ग) काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा –
1. कायर
2. वीरता
3. संकट का चरण
4. उद्योगनिरत व्यक्ति
(घ) इस पद्यांश से आपको क्या सीख मिलती है?
(ड़) ‘कायर’ का विलोम शब्द क्या होगा?
10 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
बारिश हो रही थी थम-थम के, जम के हल रही पुरवाई।
लिया कृष्ण ने जन्म, देवकी पति से बतलाई।
कहीं पहरेदार जाग न जाएँ, बच्चे को गोकुल दो पहुँचाई।
वासुदेव हुए जल्द तैयार, ना पल की देर लगाई।
चले टोकरी में लड़का रखके, पग धीरे-धीरे धर के।
भादो मास की रात अंधेरी, राह में कुछ न चमके।
गलियारे सूने चुपचाप, मन में उठे हिलोरे डर-डर के।
मन ही मन बातें करते, गोकुल की सुरत लगाई।
जमुना बीच उतर के, धोती ऊपर को सुगनाई।
जमुना भर रही खूब उफान, पार कुछ देता नहीं दिखाई।
लटका दिया कृष्ण ने पैर, जमुना नीचे उतर आई।
शेष नाग लगाए रहे छतरी, कृष्ण रहे मुस्काई।
भादो मास का कृष्णपक्ष, कृष्ण जन्माष्टमी कहलाई।
इस रात हुआ दिव्य प्रकाश, उसकी याद जाती दोहराई।
बंधन से मुक्ति मिलती है, करके रात जगाई।
भक्ति से मन भर आता है, कृष्ण अमृत दो बरसाई।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) एक या दो शब्दों में उत्तर दीजिए-
(1) जन्माष्टमी का पर्व हिंदी कैलेंडर के अनुसार किस मास में आता है?
(2) कृष्ण के जन्मदाता कौन थे?
(3) कृष्ण के जन्म के समय उनके माता-पिता कहाँ थे?
उद्देश्य: छात्रों को जन्माष्टमी से संबंधित जानकारी देना।
(ख) वासुदेव अपने आवजात शिशु कृष्ण को गोकुल क्यों छोड़ने गए?
(ग) तेज बारिश के कारण जब जमुना उफान पर थी तब कृष्ण ने किया जिससे वे सरलता पूर्वक गोकुल पहुँच गए?
(घ) जन्माष्टमी का त्योहार किस प्रकार मनाया जाता है?
11 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
खड़ा हिमालय बता रहा है, डरो न आँधी पानी में,
डटे रहो तुम अपने पथ पर, सब संकट तूफानों में।
डिगो न अपने पथ से तुम, तो सब कुछ पा सकते हो प्यारे,
तुम भी ऊँचे उठ सकते हो, छू सकते हो नभ के तारे।
अटल रहा जो अपने पथ पर, लाख मुसीबत आने में,
मिली सफलता उसको जग में, जीने में मर जाने में।
जितनी भी बाधाएँ आई, उन सबसे ही लड़ा हिमालय,
इसीलिए तो जगत भर में, हुआ सभी से बड़ा हिमालय।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) उपर्युक्त काव्यांश में कौन बता रहा है?
1. हिमालय
2. पर्वत
3. पानी
4. आँधी-तूफान
(ख) सब कुछ पाने के लिए आवश्यक है कि –
1. पथ बदल दो
2. दूसरों से सहायता माँगो
3. पथ पर डटे रहो
4. इनमें से कोई नहीं
(ग) हिमालय सबसे बड़ा कैसे बना?
(घ) यह काव्यांश हमें क्या संदेश देता है?
12 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
सबको स्वतंत्र कर दे यह संगठन हमारा।
छूटे स्वदेश ही की सेवा में तन हमारा॥
जब तक रहे फड़कती नस एक भी बदन में।
हो रक्त बूंद भर भी जब तक हमारे तन में।
छीने न कोई हमसे प्यारा वतन हमारा।
छूटे स्वदेश ही की सेवा में तन हमारा॥
कोई दलित न जग में हमको पड़े दिखाई।
स्वाधीन हों सुखी हों सारे अछूत भाई ॥
सबको गले लगा ले यह शुद्ध मन हमारा।
छूटे स्वदेश ही की सेवा में तन हमारा ।।
धुन एक ध्यान में है, विश्वास है विजय में।
हम तो अचल रहेंगे तूफ़ान में प्रलय में॥
कैसे उजाड़ देगा कोई चमन हमारा?
छूटे स्वदेश ही की सेवा में तन हमारा॥
हम प्राण होम देंगे, हँसते हुए जलेंगे।
हर एक साँस पर हम आगे बढ़े चलेंगे॥
जब तक पहुँच न लेंगे तब तक न साँस लेंगे।
वह लक्ष्य सामने है पीछे नहीं टलेंगे।
गायें सुयश खुशी से जग में सुजन हमारा।
छूटे स्वदेश ही की सेवा में तन हमारा॥
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) कवि की हार्दिक इच्छा क्या है?
उत्तर– कवि की हार्दिक इच्छा यह है कि वह मरते समय तक देश की सेवा करता रहे।
(ख) ‘हम प्राण होम देंगे हँसते हुए जलेंगे’ में निहित अलंकार का नाम बताइए।
उत्तर– ‘हम प्राण होम देंगे हँसते हुए जलेंगे’ में अनुप्रास अलंकार है।
(ग) ‘हम तो अचल रहेंगे तूफ़ान में प्रलय में’ यहाँ ‘तफ़ान’ और ‘प्रलय’ किसके प्रतीक हैं?
उत्तर– ‘हम तो अचल रहेंगे तूफान में प्रलय में’-यहाँ ‘तूफ़ान’ और ‘प्रलय’ राह की मुश्किलों के प्रतीक हैं।
(घ) कवि जिस समाज की कल्पना करता है उसका स्वरूप कैसा होगा?
उत्तर– कवि जिस समाज की कल्पना करता है उसमें कोई भी दीन-दुखी और दलित नहीं होगा। समाज के अछूत समझे जाने वाले दलित जन भी आपस में भाई-भाई होंगे और वे एक-दूसरे को प्रेम से गले लगाएँगे।
(ड) कवि अपना लक्ष्य पाने के लिए क्या-क्या करना चाहता है और क्यों?
उत्तर– कवि अपना लक्ष्य पाने के लिए शरीर में एक भी साँस रहने तक आगे बढ़ना चाहता है। वह लक्ष्य तक पहुँचे बिना साँस तक नहीं लेना चाहता है। कवि उस लक्ष्य के सहारे चाहता है कि विश्व के लोग भारत का गुणगान करें।
13 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
ओ महमूदा मेरी दिल जिगरी
तेरे साथ मैं भी छत पर खड़ी हूँ
तुम्हारी रसोई तुम्हारी बैठक और गाय-घर में
पानी घुस आया
उसमें तैर रहा है घर का सामान
तेरे बाहर के बाग का सेब का दरख्त
टूट कर पानी के साथ बह रहा है
अगले साल इसमें पहली बार सेब लगने थे
तेरी बल खाकर जाती कश्मीरी कढ़ाई वाली चप्पल
हुसैन की पेशावरी जूती
बह रहे हैं गंदले पानी के साथ
तेरी ढलवाँ छत पर बैठा है
घर के पिंजरे का तोता
वह फिर पिंजरे में आना चाहता है
महमूदा मेरी बहन
इसी पानी में बह रही है तेरी लाडली गऊ
इसका बछड़ा पता नहीं कहाँ है
तेरी गऊ के दूध भरे थन
अकड़ कर लोहा हो गए हैं
जम गया है दूध
सब तरफ पानी ही पानी
पूरा शहर डल झील हो गया है
महमूदा, मेरी महमूदा
मैं तेरे साथ खड़ी हूँ
मुझे यकीन है छत पर ज़रूर
कोई पानी की बोतल गिरेगी
कोई खाने का सामान या दूध की थैली
मैं कुरबान उन बच्चों की माँओं पर
जो बाढ़ में से निकलकर
बच्चों की तरह पीड़ितों को
सुरक्षित स्थान पर पहुँचा रही हैं
महमूदा हम दोनों फिर खड़े होंगे
मैं तुम्हारी कमलिनी अपनी धरती पर…
उसे चूम लेंगे अपने सूखे होठों से
पानी की इस तबाही से फिर निकल आएगा।
मेरा चाँद जैसा जम्मू
मेरा फूल जैसा कश्मीर।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) रसोई, बैठक और गाय घर में पानी घुस आने का क्या कारण है ?
उत्तर– रसोई, बैठक और गाय-घर में पानी घुस आने का कारण भीषण बाढ़ है।
(ख) ‘पूरा शहर डल-झील हो गया है’ का आशय क्या है ?
उत्तर– आशय यह है कि बाढ़ का पानी चारों ओर ऐसा भर गया है जैसे सारा शहर डलझील बन गया है।
(ग) कवयित्री को किस बात का विश्वास है?
उत्तर– कवयित्री को विश्वास है कि उसकी छत पर पानी की बोतल, खाने का सामान या दूध की थैली अवश्य गिरेगी।
(घ) जलमग्न हुए स्थान पर तोते और गाय-बछड़े की मार्मिक दशा कैसी हो गई है?
उत्तर– जम्मू-कश्मीर में बाढ़ आ जाने से पेड़ धराशायी हो गए हैं। बाहर सब जलमग्न हो गया है। इस स्थिति में तोता घर की छत पर बैठा है। इसी पानी में महमूदा की गाय बह रही है, बछड़े का पता नहीं है। बछड़े से न मिल पाने के कारण गाय के दूध भरे थन अकड़ गए हैं।
(ड) कवयित्री की आशावादिता किस प्रकार प्रकट हुई है? काव्यांश के आधार पर लिखिए।
उत्तर– कवयित्री को आशा है कि पानी जल्द ही उतर जाएगा, धरती की रौनक-लौट आएगी और ज मू-कश्मीर का स्वर्ग जैसा सौंदर्य पुनः जल्दी वापस आ जाएगा।
14 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :
शीश पर मंगल-कलश रख
भूलकर जन के सभी दुख
चाहते हो तो मना लो जन्म-दिन भूखे वतन का।
जो उदासी है हृदय पर,
वह उभर आती समय पर,
पेट की रोटी जुड़ाओ,
रेशमी झंडा उड़ाओ,
ध्यान तो रक्खो मगर उस अधफटे नंगे बदन का।
तन कहीं पर, मन कहीं पर,
धन कहीं, निर्धन कहीं पर,
फूल की ऐसी विदाई,
शूल को आती रुलाई
आँधियों के साथ जैसे हो रहा सौदा चमन का।
आग ठंडी हो, गरम हो,
तोड़ देती है, मरम को,
क्रांति है आनी किसी दिन,
आदमी घड़ियाँ रहा गिन, राख कर देता सभी कुछ अधजला दीपक भवन का
जन्म-दिन भूखे वतन का।
उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |
(क) देश की स्वतंत्रता का उत्सव मनाना कब अर्थहीन हो जाता है?
उत्तर– देश की स्वतंत्रता का उत्सव मनाना तब अर्थहीन हो जाता है, जब देश की जनता भूखी और उदास हो।
(ख) कवि किस उदासी की बात कर रहा है?
उत्तर– कवि जनता की अभावग्रस्तता, मूलभूत सुविधाओं की कमी आदि से उत्पन्न उदासी की बात कर रहा है।
(ग) ‘अधजला दीपक भवन का’ किसका प्रतीक है?
उत्तर– अधजला दीपक भवन का भूखे-प्यासे दुखी और अभावग्रस्त लोगों का प्रतीक है।
(घ) कवि देश के शासकों से क्या कहना चाहता है और क्यों?
उत्तर– कवि देश के शासकों से यह कहना चाहते हैं कि वे आज़ादी का उत्सव मनाएँ, रेशमी झंडा लहराएँ पर उन गरीबों के लिए रोटी और अधनंगे बदन वालों के लिए वस्त्र का इंतज़ाम करें का भी ध्यान रखें। वह ऐसा इसलिए कह रहा है क्योंकि शासकों को संवेदनहीनता के कारण भूखी जनता का ध्यान नहीं रह गया है।
(ड) कवि को ऐसा क्यों लगता है कि किसी दिन क्रांति होकर रहेगी? इसका क्या परिणाम होगा?
उत्तर– देश की बदहाल स्थिति देखकर कवि को लगता है कि देश की जनता शोषण, अभावग्रस्तता, दुख और आपदाओं से जैसे समझौता कर रही है। जिस दिन उसका धैर्य जवाब देगा उसी दिन क्रांति हो जाएगी तब यह आक्रोशित जनता यह व्यवस्था नष्ट करके रख देगी।
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Answer: Do not try to write the answer without reading the poem Read all the alternatives very carefully, don’t write the answer until you feel that you have selected the correct answer. Check your all answers to avoid any mistakes.
Answer: Study the question before reading the poem. After that, read the poem and highlight the word which you find related to the question and a line before that word and one after that. With this strategy, you will be able to solve most questions and score higher marks in your exam.
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